हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
يَسْتَبْشِرُونَ بِنِعْمَةٍ مِّنَ اللَّهِ وَفَضْلٍ وَأَنَّ اللَّهَ لَا يُضِيعُ أَجْرَ الْمُؤْمِنِينَ यसतबशेरूना बेनेअमतिम मिनल्लाहे व फ़ज़्लिन व अन्नल्लाहा ला यज़ीओ अजरल मोमेनीना (आले-इमरान, 171)
अनुवाद: वे अल्लाह की उदारता और इनाम पर खुश और प्रसन्न हैं और वे प्रसन्न हैं कि अल्लाह ईमानवालों के इनाम को बर्बाद नहीं करता है।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣शहीदों के लिए, सर्वशक्तिमान ईश्वर के विशेष आशीर्वाद और विशेष दिव्य कृपा से खुश रहना।
2️⃣ बरज़ख की दुनिया में इंसान के लिए खुशी ।
3️⃣ ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद, पद और डिग्रियाँ।
4️⃣ सर्वशक्तिमान ईश्वर की ओर से विश्वासियों के कार्यों के लिए पुरस्कार और इनाम की गारंटी है।
5️⃣ कर्म का फल और प्रतिफल न खोने की शर्त ही आस्था है।
6️⃣ लोगों को ईमान और अमल की तरफ प्रेरित करना, इनाम और इनाम का वादा करना और उसकी गारंटी देना कुरान का तरीका है।
7️⃣शहीदों पर ख़ुश रहो कि ख़ुदा ईमान वालों का इनाम बर्बाद नहीं करता।
8️⃣ भगवान के दरबार में शहीदों का ऊंचा दर्जा है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान